सूत्रकृमी रोग (मिलोयडोगाइन स्पेशिज)
लक्षण:
- जड़ों में गांठ बनना।
- पौधे कमजोर और पीले दिखना।
- पानी व पोषक तत्वों का अवशोषण कम होना।
- फलों और फूलों की संख्या में कमी।
सूत्रकृमी रोग (मिलोयडोगाइन स्पेशिज)
परिचय:
नेमाटोड एक सूक्ष्मजीव है, जो पौधों की जड़ों में निवास करता है और उनकी पोषण क्षमता को प्रभावित करता है।
- शरीर पतले धागे जैसा, लंबा और बेलनाकार।
- मादा नेमाटोड गोलाकार और नर सर्पिलाकार।
- आकार: 0.2 मिमी से 10 मिमी।
प्रमुख लक्षण:
- जड़ों में गांठों का विकास।
- पौधों की वृद्धि में बाधा।
- पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण कम।
- पौधों का कमजोर और पीला पड़ना।
- फलों और फूलों की संख्या में कमी।
नियंत्रण उपाय:
1. जैविक नियंत्रण:
- फफूंद आधारित समाधान:
- ट्राइकोडर्मा विरिडि और पेसिलोमाइसेज लीलानस का उपयोग।
- इन फफूंदों को गोबर खाद में मिलाकर 7-15 दिन तक छायादार स्थान पर रखें।
- उपचारित खाद को पौधों की जड़ों के पास डालें।
- जीवाणु आधारित समाधान:
- स्युडोमोनास फ्लूरोसेन्स का उपयोग, जो नेमाटोड की गतिविधियों को रोकता है।
2. रासायनिक नियंत्रण:
- उपयुक्त उत्पाद:
- Velum Prime (Bayer)
- Nemocheck (Aries)
- Nemosis (Agro Care)
- कार्बोफ्यूरॉन (Furadon) 3G।
- कार्बोफ्यूरॉन खुराक:
- 10 किग्रा/हेक्टेयर।
- इसे मिट्टी में मिलाकर पौधों की जड़ों के पास डालें।
इन उपायों से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है |
अन्य महत्वपूर्ण सुझाव
- जैविक नियंत्रण:
- ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनॉस फ्लूरोसेन्स का उपयोग।
- खेत में जैविक खादों का प्रयोग बढ़ाएं।
- सांस्कृतिक उपाय:
- फसल चक्रीकरण अपनाएं।
- सरसों, लहसुन, और प्याज की अंतराशस्य करें।
- रासायनिक नियंत्रण:
- दवाओं का उचित मात्रा में और सही समय पर छिड़काव करें।
- नर्सरी और मुख्य खेत को साफ-सुथरा रखें।
यह विस्तृत विवरण टमाटर की खेती में बीमारियों और कीटों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद करेगा।