सूत्रकृमी रोग (मिलोयडोगाइन स्पेशिज)

लक्षण:

  1. जड़ों में गांठ बनना।
  2. पौधे कमजोर और पीले दिखना।
  3. पानी व पोषक तत्वों का अवशोषण कम होना।
  4. फलों और फूलों की संख्या में कमी।

सूत्रकृमी रोग (मिलोयडोगाइन स्पेशिज)

परिचय:

नेमाटोड एक सूक्ष्मजीव है, जो पौधों की जड़ों में निवास करता है और उनकी पोषण क्षमता को प्रभावित करता है।

  • शरीर पतले धागे जैसा, लंबा और बेलनाकार।
  • मादा नेमाटोड गोलाकार और नर सर्पिलाकार।
  • आकार: 0.2 मिमी से 10 मिमी।

प्रमुख लक्षण:

  • जड़ों में गांठों का विकास।
  • पौधों की वृद्धि में बाधा।
  • पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण कम।
  • पौधों का कमजोर और पीला पड़ना।
  • फलों और फूलों की संख्या में कमी।

नियंत्रण उपाय:

1. जैविक नियंत्रण:
  • फफूंद आधारित समाधान:
  • ट्राइकोडर्मा विरिडि और पेसिलोमाइसेज लीलानस का उपयोग।
  • इन फफूंदों को गोबर खाद में मिलाकर 7-15 दिन तक छायादार स्थान पर रखें।
  • उपचारित खाद को पौधों की जड़ों के पास डालें।
  • जीवाणु आधारित समाधान:
  • स्युडोमोनास फ्लूरोसेन्स का उपयोग, जो नेमाटोड की गतिविधियों को रोकता है।
2. रासायनिक नियंत्रण:
  • उपयुक्त उत्पाद:
  • Velum Prime (Bayer)
  • Nemocheck (Aries)
  • Nemosis (Agro Care)
  • कार्बोफ्यूरॉन (Furadon) 3G।


  • कार्बोफ्यूरॉन खुराक:
  • 10 किग्रा/हेक्टेयर।
  • इसे मिट्टी में मिलाकर पौधों की जड़ों के पास डालें।

 

इन उपायों से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है |

अन्य महत्वपूर्ण सुझाव

  1. जैविक नियंत्रण:
    • ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनॉस फ्लूरोसेन्स का उपयोग।
    • खेत में जैविक खादों का प्रयोग बढ़ाएं।
  2. सांस्कृतिक उपाय:
    • फसल चक्रीकरण अपनाएं।
    • सरसों, लहसुन, और प्याज की अंतराशस्य करें।
  3. रासायनिक नियंत्रण:
    • दवाओं का उचित मात्रा में और सही समय पर छिड़काव करें।
    • नर्सरी और मुख्य खेत को साफ-सुथरा रखें।

यह विस्तृत विवरण टमाटर की खेती में बीमारियों और कीटों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद करेगा।

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