परिचय:
- नेमाटोड सूक्ष्मजीव होते हैं जो पौधों की जड़ों में निवास करते हैं।
- यह पतले धागे जैसा लंबा, बेलनाकार और खंडरहित जीव है।
- मादा नेमाटोड गोलाकार होती है, जबकि नर सर्पिल आकार के होते हैं।
- प्रमुख प्रजाति: मिलोयडोगाइन स्पेशिज (जड़ गांठ सूत्रकृमी)।
पौधों पर प्रभाव:
- जड़ों में गांठों का विकास होता है, जिससे पोषक तत्वों का संचरण बाधित हो जाता है।
- पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और वे कमजोर दिखते हैं।
- पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण कम होने के कारण पत्तियां और तने पीले पड़ जाते हैं।
- फलों और फूलों की संख्या कम हो जाती है।
- गंभीर संक्रमण के कारण पौधे पूरी तरह सूख सकते हैं।
नियंत्रण उपाय:
- जैविक नियंत्रण:
- ट्राइकोडर्मा विरिडि और पेसिलोमाइसेज लीलानस जैसे फफूंद का उपयोग।
- इनका मिश्रण गोबर की खाद में मिलाकर 7-15 दिन तक छायादार स्थान पर रखें और मिट्टी में डालें।
- स्युडोमोनास फ्लूरोसेन्स जैसे जीवाणुओं का प्रयोग नेमाटोड की गतिविधि को रोकता है।
- रासायनिक नियंत्रण:
- Velum Prime (Bayer), Nemocheck (Aries), कार्बोफ्यूरॉन (Furadon)।
- खुराक: 10 किग्रा/हेक्टेयर।
- इन रसायनों को मिट्टी में मिलाकर पौधों की जड़ों के पास डालें।
- कल्चरल नियंत्रण:
- सरसों, प्याज, लहसुन और हजारा जैसी फसलों की अंतराशस्य करें।
- नेमाटोड प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
- गहरी जुताई और खेतों में उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।
- अन्य उपाय:
- फसल चक्रीकरण अपनाएं ताकि नेमाटोड का जीवनचक्र बाधित हो।
- जैविक खाद और हरी खाद का उपयोग मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक है।
प्रमुख लाभ:
- नेमाटोड का प्रभावी नियंत्रण पौधों की वृद्धि और उत्पादकता को बनाए रखने में मदद करता है।
- जैविक और रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग फसल के दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है।