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Nematodes (सूत्रकृमी): विस्तृत जानकारी

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परिचय:

  • नेमाटोड सूक्ष्मजीव होते हैं जो पौधों की जड़ों में निवास करते हैं।
  • यह पतले धागे जैसा लंबा, बेलनाकार और खंडरहित जीव है।
  • मादा नेमाटोड गोलाकार होती है, जबकि नर सर्पिल आकार के होते हैं।
  • प्रमुख प्रजाति: मिलोयडोगाइन स्पेशिज (जड़ गांठ सूत्रकृमी)।

पौधों पर प्रभाव:

  1. जड़ों में गांठों का विकास होता है, जिससे पोषक तत्वों का संचरण बाधित हो जाता है।
  2. पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और वे कमजोर दिखते हैं।
  3. पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण कम होने के कारण पत्तियां और तने पीले पड़ जाते हैं।
  4. फलों और फूलों की संख्या कम हो जाती है।
  5. गंभीर संक्रमण के कारण पौधे पूरी तरह सूख सकते हैं।

नियंत्रण उपाय:

  1. जैविक नियंत्रण:
    • ट्राइकोडर्मा विरिडि और पेसिलोमाइसेज लीलानस जैसे फफूंद का उपयोग।
    • इनका मिश्रण गोबर की खाद में मिलाकर 7-15 दिन तक छायादार स्थान पर रखें और मिट्टी में डालें।
    • स्युडोमोनास फ्लूरोसेन्स जैसे जीवाणुओं का प्रयोग नेमाटोड की गतिविधि को रोकता है।
  2. रासायनिक नियंत्रण:
    • Velum Prime (Bayer), Nemocheck (Aries), कार्बोफ्यूरॉन (Furadon)
    • खुराक: 10 किग्रा/हेक्टेयर।
    • इन रसायनों को मिट्टी में मिलाकर पौधों की जड़ों के पास डालें।
  3. कल्चरल नियंत्रण:
    • सरसों, प्याज, लहसुन और हजारा जैसी फसलों की अंतराशस्य करें।
    • नेमाटोड प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
    • गहरी जुताई और खेतों में उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।
  4. अन्य उपाय:
    • फसल चक्रीकरण अपनाएं ताकि नेमाटोड का जीवनचक्र बाधित हो।
    • जैविक खाद और हरी खाद का उपयोग मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक है।

प्रमुख लाभ:

  • नेमाटोड का प्रभावी नियंत्रण पौधों की वृद्धि और उत्पादकता को बनाए रखने में मदद करता है।
  • जैविक और रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग फसल के दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है।